दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित (Shiela Dixit) का निधन
कांग्रेस की वरिष्ठ और कद्दावर नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित (Shiela Dixit) का 20 जुलाई, 2019 को दोपहर 3 बजकर 55 मिनट पर निधन हो गया। वे 81 वर्ष की थीं। श्रीमती दीक्षित को हृदयाघात के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था। ग़ौरतलब है कि शीला दीक्षित 1998 से 2013 के बीच रिकॉर्ड 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थीं। ये सबसे लम्बे समय तक दिल्ली की मुख्यमंत्री (Chief Minister) रहीं। वे बीते कुछ समय से हृदय संबंधी रोगों के चलते गंभीर रूप से बीमार थीं। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने 10 जनवरी को उन्हें दिल्ली में पार्टी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी।
सोशल मीडिया पर लोग अपनी प्यारी नेता को ‘मॉडर्न दिल्ली की मां’ कहकर श्रद्धांजलि दे रहे हैं। केजरीवाल सरकार द्वारा दिग्गज नेता को श्रद्धांजलि देते हुए दो दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है।
शनिवार सुबह शीला दीक्षित (Shiela Dixit) को तबीयत बिगड़ने पर राजधानी के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इनका अंतिम संस्कार रविवार दोपहर को दिल्ली के निगम बोध घाट पर किया गया। इससे पूर्व इनका पार्थिव शरीर रविवार को उनके पूर्वी निज़ामुद्दीन स्थित आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, भाजपा नेता विजय गोयल समेत कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
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शीला दीक्षित (Shiela Dixit) के निधन पर उनकी पार्टी की ओर से शोक व्यक्त करते हुए कहा गया कि उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में दिल्ली का चेहरा बदल दिया था।
”शीला जी के निधन से दुखी हूं। वह मुझे बहुत प्यार करती थीं। दिल्ली और देश के लिए उन्होंने जो किया उसे हमेशा याद रखा जाएगा। वह पार्टी की बड़ी नेता थीं।” – प्रियंका गांधी
राहुल गाँधी ने कहा “शीला कांग्रेस की प्यारी बेटी थीं”
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राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि श्रीमती शीला दीक्षित एक वरिष्ठ राजनीतिक हस्ती थीं। राजधानी के लिए किये गए महत्वपूर्ण परिवर्तनों के लिए उन्हें याद किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीमती दीक्षित के निधन से गहरा दुख प्रकट किया। उन्होंने कहा कि शीला दीक्षित ने दिल्ली के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया।
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने उन्हें दिल्ली की राजनीती की अजातशत्रु बताया और कहा कि मैं बेटे की तरह उनसे सवाल करता था और वे एक मां की तरह जवाब देती थीं। उन्होंने कहा कि मैं हाल ही में उनसे मिला था, यह एक बड़ा झटका है। मुझे याद है कि उन्होंने एक मां की तरह मेरा स्वागत किया। दिल्ली उन्हें बहुत याद करेगी। भगवान उनके परिवार और करीबियों को इस दुख को सहने के लिए हिम्मत दे। – मनोज तिवारी, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष
“ शीला दीक्षित का जाना दुखद है। बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने दिल्ली में करिश्मा करके दिखाया। जो कोई भी उन्हें जानता होगा वो उन्हें बहुत याद करेगा। “ – उमर अब्दुल्लाह
“शीला दीक्षित जी एक बड़ी हस्ती थीं, एक सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में उनका योगदान दिल्ली और देश के लिए व्यापक था। उनके निधन से पूरा देश दुखी है।” -ओम बिरला, लोकसभा स्पीकर
आधुनिक दिल्ली की निर्मात्री कहलाईं शीला दीक्षित (Shiela Dixit)
शीला दिल्ली में मेट्रो, फ्लाई ओवर, सीएनजी, दिल्ली की हरियाली जैसे कई कामों के लिए शीला को आज याद किया जा रहा है। इन सबने दिल्ली के लोगों की निजी ज़िंदगी पर बहुत असर डाला। वह भले ही कांग्रेस पार्टी की नेता थीं पर उन्हें सभी पार्टी के नेता सम्मान देते थे।
1984 में मिला राजनीति में पहला बड़ा मौका
शीला दीक्षित ने पहली बार 1984 में कन्नौज सीट से चुनाव लड़ा था। यहां उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) के छोटे सिंह यादव को हराया था। शीला दीक्षित को राजनीति में पहला बड़ा मौका पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दिया था। राजीव गांधी 1984 में उन्हें अपनी मंत्रिपरिषद में शामिल किया था। उस समय शीला दीक्षित यूपी की कन्नौज लोकसभा सीट से सांसद बनी थीं। केरल की राज्यपाल भी रहीं शीला के लिए राजनीति महज़ सत्ता हासिल करने का ज़रिया नहीं थी बल्कि आम लोगों से जुड़ने और उनकी समस्याओं को हल करने का माध्यम थी।
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1998 में मिली थी दिल्ली की कमान
शीला पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय थीं, लेकिन लगातार चार लोकसभा चुनाव हारने के बाद 1998 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें दिल्ली की ज़िम्मेदारी सौंपी। शीला ने चुनाव में पार्टी की कमान संभाली और चुनाव जीतकर दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद इन्होंने 2013 तक तीन कार्यकाल बतौर दिल्ली की मुख्यमंत्री पूरे किए।
निर्भय कांड से पहले छोड़ना चाहती थीं राजनीति
वर्ष 2012 में शीला दीक्षित ने अपना दूसरा एंजियोप्लास्टी करवाया जिसके चलते उनका परिवार चाहता था कि वे राजनीति छोड़ दें। लेकिन फिर 16 दिसंबर को निर्भय कांड हो गया जिसके बाद उन्होंने मैदान से भागने की बजाय डटे रहने का मन बना लिया।
शीला दीक्षित (Shiela Dixit) की संक्षिप्त जीवनयात्रा
- इनका जन्म 1938 में पंजाब के कपूरथला में एक ग़ैर-राजनीतिक कपूर परिवार में हुआ था।
- शीला दीक्षित ने पहली बार 1984 में कन्नौज सीट से चुनाव जीत कर संसद पहुंची थीं।
- 1984 से 1989 तक सांसद रहने के दौरान वे यूनाइटेड नेशंस कमीशन ऑन स्टेटस ऑफ वीमेन में भारत की प्रतिनिधि भी रहीं।
- 1998 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें दिल्ली की ज़िम्मेदारी सौंपी थी।
- शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक लगातार 15 सालों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं।
- ये दिल्ली की 6ठी मुख्यमंत्री थीं।
- वर्ष 2014 में इन्हें केरल का राज्यपाल बनाया गया था। अगस्त 2014 में इन्होंने इस पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।
- 15 वर्षों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहने के बाद शीला दीक्षित वर्ष 2013 का विधानसभा चुनाव केजरीवाल से हार गई थीं।
- 2019 के आम चुनावों के वक्त शीला दीक्षित दिल्ली की प्रदेश अध्यक्ष रही थीं।
- दिल्ली में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद ये केरल की (22वीं) राज्यपाल भी रही थीं।
- इसके अलावा कांग्रेस ने यूपी विधानसभा चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर भी पेश किया था।
- शीला दीक्षित के जीवन पर बीबीसी संवाददाता रेहान फ़ज़ल ने एक ख़ास विवेचना तैयार की थी। यह फरवरी, 2018 में बीबीसी हिंदी पर छपी थी।
- दीक्षित ने अपनी आत्मकथा ‘सिटीज़न डेल्ही: माय टाइम्स, माई लाइफ’ (Citizen Delhi: My Times, My Life) लिखी थी, जो पिछले साल जनवरी में रिलीज़ हुई थी।
जवाहर लाल नेहरू के करीबी रहे उमा शंकर दीक्षित के बेटे विनोद से हुआ था विवाह
शीला दीक्षित ने जीसस कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई पूरी कर दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज से स्नातक किया था। जुलाई 1962 में इनका विवाह जवाहर लाल नेहरू के करीबी रहे उमा शंकर दीक्षित के नौकरशाह बेटे विनोद दीक्षित से हुआ था। उमा शंकर दीक्षित 1971 में इंदिरा गांधी सरकार में कैबिनेट मंत्री और उसके बाद कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के गवर्नर रहे।
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शीला दीक्षित (Shiela Dixit)शाहरुख़ ख़ान की थीं बड़ी फैन
शीला दीक्षित को पढ़ने के अलावा फ़िल्में देखने का भी बहुत शौक था। वो शाहरूख़ ख़ान की बहुत बड़ी फ़ैन थीं। उन्होंने ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ कई बार देखी थी। इससे अलावा वे दिलीप कुमार और राजेश खन्ना की भी फ़ैन थीं। इन्हें संगीत भी बेहद पसंद था।
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कौन होगा अब दिल्ली कांग्रेस का नया अध्यक्ष?
कांग्रेस की क़द्दावर नेता शीला दीक्षित के निधन के बाद दिल्ली कांग्रेस के सामने एक ऐसे नेता की तलाश की चुनौती उत्पन्न हो गई है, जो इस पद की ज़िम्मेदारी संभाल सके। दरअसल, दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने शेष हैं और ऐसे में इस अपूरणीय क्षति के कारण अब दिल्ली कांग्रेस इकाई के सामने दो चुनौतियां हैं, पहला, नया नेता तलाशने की और दूसरा पार्टी में एकजुटता कायम करने की।
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