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यूनाइटेड किंगडम की ‘जेट ज़ीरो ’ योजना (UK Jet Zero Plan)

UK announced to implement on Jet Zero  Plan

हाल ही में उड्डयन क्षेत्र में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य से ‘यूनाइटेड किंगडम’ (UK) ने ‘जेट ज़ीरो’ योजना  (Jet Zero Plan) पर कार्य करने की घोषणा की।

इस सन्दर्भ में UK के परिवहन सचिव ग्रांट शाप्स ने 12 जून, 2020 को घोषणा की।

 

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Jet Zero Plan का उद्देश्य

  • ‘जेट ज़ीरो’ (Jet Zero) योजना के ज़रिये UK का उद्देश्य कार्बन-मुक्त पारगमन उड़ानों को संभव बनाने के लिए विमानन से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना है।
  • इस पहल का मुख्य उद्देश्य अटलांटिक पारगमनीय उड़ानों को कार्बन-मुक्त बनाना है।
  • दरसल, यू.के. या यूनाइटेड किंगडम ने वर्ष 2050 तक देश को ‘शुद्ध-शून्य अर्थव्यवस्था’ (Net-Zero Economy) बनाने का लक्ष्य रखा है। और इसकी वर्तमान पहल इसी लक्ष्य का एक भाग है।

 

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जेट ज़ीरो काउंसिल’ (Jet Zero Council)

जेट ज़ीरो योजना पर कार्य करने के लिये विमानन, पर्यावरण समूहों और सरकार के नेताओं के एक समूह का गठन कर एक ‘जेट ज़ीरो काउंसिल’ (Jet Zero Council) बनाई गई है।

 

काउंसिल के लक्ष्य

  • कोरोना या COVID-19 महामारी के बाद उड्डयन क्षेत्र में हरित पहल को फिर से शुरू करना।
  • विभिन्न हितधारकों जैसे उड्डयन क्षेत्र से जुड़े लोगों, पर्यावरण समूहों तथा सरकारी नेताओं आदि को एक साथ लाना
  • विमानन क्षेत्र के अंतर्गत भविष्य की उड़ानों में ‘शुद्ध शून्य उत्सर्जन’ (Net Zero Emissions) को संभव बनाना।

 

Jet Zero Plan का महत्त्व

यू.के. के लिए विमानन क्षेत्र में ‘सतत उड्डयन ईंधन’ (Sustainable Aviation Fuels) के उत्पादन तथा बिजली आधारित उड्डयन सेवा में एक विश्व अग्रणी सेवा प्रदाता बनने का अवसर मौजूद है। और इस प्रक्रिया से हजारों उच्च-कुशल रोज़गार और प्रमुख निर्यात अवसर भी उत्पन्न होंगे।

 

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GHGs के प्रमुख योगदानकर्त्ता

वर्ष 2018 में उड्डयन क्षेत्र का कुल CO2 उत्सर्जन में योगदान 2.4% था। हालाँकि यह उत्सर्जन मात्रा अन्य औद्योगिक क्रियाओं की तुलना में कम लगती है। लेकिन कुल वैश्विक तापन में वाणिज्यिक उड्डयन क्षेत्र का योगदान 5% है।

इसके अतिरिक्त यात्री परिवहन का GHG उत्सर्जन में 81% का योगदान है जबकि इस मामले में शेष 19% योगदान माल परिवहन का है।

 

GHGs के प्रमुख उत्सर्जक

  • CO2 का कुल उड्डयन उत्सर्जकों में लगभग 70 फ़ीसदी का योगदान है और यह ‘वैश्विक तापन’ पर धनात्मक प्रभाव उत्पन्न करता है।
  • इसका दूसरा प्रमुख उत्सर्जक जलवाष्प है जो जेट ईंधन की खपत से उत्पन्न होता है। ये जलवाष्प शीघ्र ही ‘हिम क्रिस्टल’ के नाभिक का निर्माण करते हैं। जिससे सिरस (Cirrus) बादलों का निर्माण होता है।
  • सिरस बादल छोटे, अलग-थलग, बालों की तरह के बादल होते हैं जो high altitudes पर पाए जाते हैं। और ये अवरक्त किरणों को अवशोषित करते हैं जिससे CO2 की तुलना में 3 गुना अधिक तापन प्रभाव पड़ता है।
  • कणकीय पदार्थों में हाइड्रोकार्बन, कालिख और सल्फेट्स शामिल होते हैं। सल्फेट्स सूर्य की किरणों को परावर्तित करके शीतलन प्रभाव दर्शाते हैं। कालिख ऊष्मा को अवशोषित करते हैं तथा नाभिकीय क्रिस्टल के रूप में कार्य करके वातावरण में हिम का निर्माण करते हैं।
  • इसके अलावा नाइट्रस गैसें भी शीतलन तथा तापन दोनों प्रभाव उत्पन्न करती हैं। नाइट्रोजन ऑक्साइड रासायनिक क्रिया द्वारा ओज़ोन का निर्माण करते हैं, जो वैश्विक तापन प्रभाव उत्पन्न करती है। दूसरी ओर यह मीथेन से क्रिया करके उसकी मात्रा को कम करती है जिससे शीतलन प्रभाव उत्पन्न होता है।

चुनौतियां

विमानन उत्सर्जन वर्तमान में वैश्विक ग्रीनहाउस गैसों के 2% से अधिक के लिए ज़िम्मेदार है, और 2005 के बाद से यह 70% तक बढ़ गया है। इसलिए परिवहन उत्सर्जन में कमी लाना एक मुश्किल काम साबित हो रहा है..

अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) द्वारा अनुमान व्यक्त किया गया है कि यदि यह उत्सर्जन कम करने के यथासंभव उपाय नहीं किये गए तो इन उपायों के अभाव में कार्बन उत्सर्जन वर्तमान स्तर से वर्ष 2050 तक और 300% आगे बढ़ जाएगा।

 

अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (International Civil Aviation Organisation – ICAO)

  • ICAO संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एक विशिष्ट एजेंसी है।
  • इसकी स्थापना साल 1944 में राज्यों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन अभिसमय यानि कि शिकागो कन्वेंशन के संचालन तथा प्रशासन के प्रबंधन के लिये की गई थी।
  • ICAO का मुख्यालय मॉन्ट्रियल, Canada में है।
  • ICAO का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय हवाई परिवहन की योजनाओं तथा विकास को बढ़ावा देना है जिससे दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन की सुरक्षित तथा व्यवस्थित वृद्धि सुनिश्चित हो सके।

शिकागो कन्वेंशन या Convention on International Civil Aviation

यह अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन पर एक कन्वेंशन है। सन 1944 में 54 देशों द्वारा इसका मसौदा तैयार किया गया था। इस कन्वेंशन ने हवाई अंतर्राष्ट्रीय परिवहन की अनुमति देने वाले मुख्य सिद्धांतों की स्थापना की, और ICAO के निर्माण का नेतृत्व किया।

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