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महामारी रोग अधिनियम (Epidemic Diseases Act), 1897

Epidemic Diseases Act, 1897

भारत में कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी की गंभीरता को देखते हुए इसके प्रसार को रोकने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च, 2020 मध्यरात्रि से 21 दिन का देशव्यापी Lockdown घोषित किया है। लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन करने वालों को महामारी रोग अधिनियम, 1897 (Epidemic Diseases Act, 1897) के तहत कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। यह अधिनियम इस तरह के आदेशों का पालन न करने पर भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 188 के तहत दण्ड का प्रावधान करता है।

दरअसल, हाल ही में मंत्रियों के समूह की हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को महामारी अधिनियम, 1897 की धारा 2 के प्रावधानों को लागू करना चाहिये जिससे स्वास्थ्य मंत्रालय व राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा समय-समय पर जारी की जाने वाली सभी सलाहों को उचित रूप से लागू किया जा सके।

ग़ौरतलब है कि 2020 में कर्नाटक महामारी अधिनियम, 1897 को लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है।  

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महामारी रोग अधिनियम, 1897 (Epidemic Diseases Act, 1897)

  • 123 वर्ष पुराना यह अधिनियम देश में फैली किसी भी भीषण महामारी से निपटने के लिए सरकार को अतिरिक्त शक्तियां प्रदान करता है।
  • महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत किये गए किसी भी विनियमन अथवा आदेश का उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान करता है। जो लोकसेवक द्वारा जारी आदेश का उल्लंघन करने से संबंधित है।
  • यह क़ानून केंद्र सरकार द्वारा उस स्थिति में लागू किया जाता है जब उसको लगता है कि किसी महामारी को रोकने हेतु उठाए गए सभी कदम नाकाफी साबित हो रहे हैं और मौजूदा विधि के साधारण उपबंध इसके लिये पर्याप्त नहीं हैं, तो ऐसे में सरकार इस कानून का सहारा लेती है।
  • सार्वजनिक सूचना द्वारा महामारी की रोकथाम के उपाय किये जाएं।
  • इस कानून की धारा 3 के तहत किसी भी व्‍यक्ति द्वारा सरकार के आदेशों की अवहेलना करने पर आर्थिक दण्ड का भी प्रावधान है और IPC की धारा 188 के तहत सज़ा भी हो सकती है।
  • यदि किसी लोक सेवक द्वारा विधिपूर्वक दिये गए आदेश की अवज्ञा करने से मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा आदि के लिये खतरा उत्पन्न होता है तो इसके लिये व्यक्ति को निश्चित अवधि के लिये कारावास अथवा 1 हज़ार रूपए जुर्माना अथवा दोनों दिया जा सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि उल्लंघनकर्ता की मंशा क्षति उत्पन्न करने की ही हो अथवा उसके ध्यान में यह हो कि उसकी अवज्ञा करने से क्षति होना संभाव्य है।

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इस क़ानून की आवश्यकता क्यों?

यह क़ानून सरकार द्वारा उस स्थिति में लागू किया जाता है जब किसी महामारी को रोकने हेतु मौजूदा नियम नाकाफी साबित हो रहे हों और चूंकि अभी तक COVID -19 के लिए कोई निश्चित इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है इसलिए भारत द्वारा अंततः यह क़दम उठाया गया।  

चीन के वुहान शहर से फैली COVID -19 नामक इस महामारी से 177 से भी ज़्यादा देश और लाखों लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं।

ग़ौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने COVID-19 को एक महामारी के रूप में घोषित किया है।

क्या होती है महामारी (What is Pandemic)?

वह बीमारी जो दुनिया भर में फैल जाती है उसे पैनडेमिक या महामारी कहते हैं। सरल शब्दों में कहें तो एक ऐसी संक्रमणकारी बीमारी जो बहुत तीव्रता से कई देशों में एक साथ लोगों के बीच संपर्क से फैलती है।

ध्यातव्य है कि इससे पूर्व साल 2009 में स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित किया गया था।

इसके विपरीत Epidemic अर्थात् स्थानीय महामारी किसी एक देश, राज्य, क्षेत्र या सीमा तक सीमित होती है। वर्ष 2014-15 में फैले इबोला को एपिडेमिक घोषित किया गया था क्योंकि यह बीमारी लाइबेरिया और उसके पश्चिम अफ्रीका के कुछ पड़ोसी देशों में फैली थी।

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